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द गर्ल इन रूम 105

"क्या चीजें?' उसने कहा। अब उसकी आवाज़ सामान्य लग रही थी। "उसमें इतने सबूत हैं कि वो तुम्हें बहुत बड़ी मुसीबत में डालने के लिए काफ़ी हैं। इसलिए बेहतर यही होगा


कि हमसे आकर मिलो और ये गाली वाली बकना बंद कर दो। नहीं तो आज रात नेशनल न्यूज़ पर तुम्हारा नाम एक टेररिस्ट और अपनी बहन के हत्यारे के रूप में चल रहा होगा।""

वह चुप रहा। 'सिकंदर?' मैंने कहा।

‘पहलगाम आ जाओ,' उसने कुछ देर बाद कहा।

'तीन गर्मागर्म कहवा, सौरभ ने वेटर से कहा। यह एक कश्मीरी ड्रिंक है, जिसमें हरी चाय को केसर, दालचीनी और इलायची के साथ उबाला जाता है। यह ड्रिंक सौरभ का नया शौक़ बन चुकी थी। वह एक दिन में कम से कम छह कप कहवा पीने लगा था। और वह उसे एकदम कश्मीरियों के स्टाइल में पीता था— गर्मागर्म, शहद और मेवों के साथ

"ओके, बहुत शहद हो गया, गोलू, मैंने कहा। सौरभ ने अपने कहवा में चौथाई जार भरकर शहद उडेल.

दिया। "वैसे, हनी हमारे लिए अच्छा होता है, सही कहा ना?' सौरभ ने वेटर के जाने के बाद कहा। "ओके गोलू, ये "हमारे लिए अच्छी होने वाली चीजें एक सीमा तक ही अच्छी होती हैं। बहुत कम मात्रा

'जैसे कि प्यार?' सौरभ ने कहा।

मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाह रहा था और इसलिए चुप हो गया। उसने अपने कहवा का एक घूंट

लिया और विषय बदल दिया। "यहां पर श्रीनगर से ज़्यादा ठंड है, सौरभ ने कहा। श्रीनगर से पहलगाम तक की नब्बे किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा में हमें तीन घंटे लग गए थे। हम पहलगाम के मुख्य बाज़ार के दाना पानी रेस्तरां में आए थे। मैं सिकंदर से किसी सार्वजनिक जगह पर ही मिलना चाहता था. जहां पर आर्मी और पुलिस के बहुत सारे लोग हों। मैं सड़क पर ही कम से कम एक दर्जन यूनिफॉर्मधारी जवानों को देख सकता था। इतने सारे जवान सिकंदर को फिर से गन निकालकर दिखाने का स्टंट करने से रोकने के लिए काफ़ी थे। *जो भी कहना है, जल्दी कहो। मैंने अपने भाई लोगों को नहीं बताया है कि में यहां आया हूँ,' सिकंदर ने

कहा।

'भाई?' मैंने कहा।

"मेरे लोग इससे तुम्हारा कोई सरोकार नहीं है। तुम आपा के बारे में क्या जानना चाहते हो?" मैंने उसे जारा की सेफ से मिली चीजों की तस्वीरें दिखाई।

“बताओ कि ये सब क्या है?" मैंने कहा 'तुमने जारा के साथ तस्वीर कहां खिंचवाई थी? जारा के पास पाकिस्तानी करेंसी और सिम कार्ड क्यों थे?'

"वो तस्वीर हमने दिल्ली के एक होटल में खिंचवाई थी वो बड़ी मनहूस जगह थी।"

"मनहूस क्यों?" 'दो अलग बात है।'

"जारा के पास ये पाकिस्तानी चीजें कैसे आई?'

सिकंदर ने एक गहरी सांस ली।

"आपा पाकिस्तान गई थीं। किसी बुक फेयर के लिए।' 'कराची लिट्रेचर फेस्टिवल, 'मैंने कहा।

"हां उसी के लिए उन्हें पाकिस्तानी करेंसी और सिम कार्ड की ज़रूरत थी। इसमें क्या बड़ी बात है?" "बड़ी बात ये है कि, सौरभ ने कहा, 'उसके पास कोकीन का एक बड़ा बैच था और एक बुलेट भी थी।' "मुझे इस बारे में नहीं मालूम।'

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